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फिस्टुला में क्या खाएं और क्या नहीं
फिस्टुला में क्या खाएं और क्या न खाएं, इसका ध्यान देना चाहिए क्योंकि यह एक ऐसी बीमारी है जो खाने पीने में लपरवाही के कारण ही होती है ।
फिस्टुला अर्थात भगन्दर एक ऐसा रोग है जिसमे मरीज को दर्द का सामना ज्यादा करना पड़ता है एस रोग में रोगी के माल द्वार के अंदर से एक सुरंग अंदर -अंडेर बाहर खुलती है यह सुरंग रेक्टम की दीवाल से निकाल कर बाहर माल द्वार के पास खुलती है । फिस्चुल होने पर रोगी के माल द्वार के आस पास बनी सुरंगों से मवाद पहले पतला ,काभी काभी गढ़ हो जाता है उसमें से काभी – काभी खून भी निकलता है ।
मलत्याग के समय मरीज कॉफी तकलीफ होती है। सवारी करने, बैठने कभी- कभी अपने दैनिक कार्य को करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ।
फिस्टुला के दर्द से राहत पाने के लिए वैसे तो कई तरीके हैं लेकिन उनसे पूरी तरह से आराम नहीं हो पाता है जैसे अँग्रेजी दवा से केवल दर्द में आराम होता है और सूजन कम हो जाती है लेकिन जड़ से ठीक नहीं होता है, दवा बंद करते ही उससे ज्यादा तकलीफ होने लगती है।
सर्जरी करने से भी दुबारा होने की संभावना रहती है क्योंकि उसमें पतली – पतली कैनाल होती हैं जो आँखों से दिखाई नहीं देती, अगर एक भी कैनाल सर्जरी करते समय छूट गई तो कुछ समय के बाद फिर से मवाद आने लगता है।
बहरहाल, फिस्टुला के ट्रीटमेंट के दौरान अपने आहार पर विशेष ध्यान देना पड़ता है अपने आहार में ऐसे भोज्य पदार्थ का प्रयोग करना चाहिए जिससे मल कठोर न हो अन्यथा मल त्याग के समय दर्द का सामना करना पड़ सकता है और साथ ही साथ फिस्टुला से पस की मात्रा भी बढ़ सकती है। आइए जानते हैं कि फिस्टुला के रोगी को क्या कहना चाहिए और क्या नहीं कहना चाहिए।
फिस्चुला में क्या खाना चाहिए – Fistula me kya khana chahiye
1. फाइबर युक्त भोजन
भगन्दर के मरीज को अपने भोजन में ज्यादा से ज्यादा फाइबर का सेवन करना चाहिए। इससे मल ढीला होता है और कब्ज की शिकायत दूर होती है जो की भगंदर होने का मुख्य कारण होता है।
इसे अपने जीवन का एक अभिन्न अंग बना लेना चाहिए। ताजी हरी सब्जियों और फलों में भरपूर मात्र में फाइबर पाया जाता है।
सलादों का भरपूर मात्र में सेवन करना एक बेहतरीन विकल्प है जिससे भगन्दर को ठीक करने में मदद मिलती है।
2. तरल पदार्थों का सेवन
फिस्चुला के दौरान जल का भरपूर सेवन करने से मल अच्छी तरह साफ हो जाता है और कठोर् मल की शिकायत नहीं होती है। इसके अलावा जब आप फल और सलाद का सेवन करते हैं तो वह भी एक जल का बेहतरीन स्रोत है। यह पेट को साफ रखने में मदद करता है।
तरल पदार्थों में चाय, कॉफी जैसे कैफीन युक्त पदार्थ भी आते हैं जिनका सेवन नहीं करना चाहिए।
3. अनाज
फिस्टुला के रोगी के लिए जौ (जई), रागी ,ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाजों का सेवन करना सबसे उपयुक्त है। यह पेट के लिए बहुत बढ़िया होते हैं और कब्ज को दूर करते हैं।
4. दाल
अरहर, मूंग, मसूर और चने की मिक्स दाल एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
5. फल, सलाद और सब्जियाँ
Fistula me kya khaye in hindi – फलों में ज्यादातर मात्रा में जल और फाइबर (रेशे) पाया जाता है जो पाचन को ठीक रखने में बहुत सहायक होता है। यह रोगी को कब्ज से बचाए रखता है। खीरा, पपीता, सेब, ककड़ी, चुकंदर, गाजर, टमाटर, अमरूद, आँवला, सभी सिट्रस फल जैसे संतरा, मुसम्बी, अंगूर इत्यादि फलों और सलादों का प्रयोग करने से फिस्चुला को ठीक करने में मदद मिलती है।
फिस्चुला होने पर डॉक्टर हमेशा उन सब्जियों को अपने भोजन में लेने की सलाह देते हैं जिनमें फाइबर अच्छी मात्र में हों जिससे उन्हें पचने में ज्यादा समय न लगे। कुछ मुख्य सब्जियाँ फिस्चुला में ज्यादा उपयोगी पाई गई हैं जैसे बथुआ, चौलाई, मेथी, पालक, मूली के पत्ते लौकी, कद्दू, करेला, नेनुआ इत्यादि।
पढ़ें- फिस्चुला कैसे होता है ?
6. अन्य और क्या लें –
- हल्का भोजन करना चाहिए
- काला नमक का सेवन करें
- सेंधा नमक का प्रयोग करें
- छाछ (माठा) पिए
- अजवाइन का सेवन करें
- देसी गाय के घी का सेवन करें
- भरपूर मात्र में पानी पियें
फिस्चुला होने पर क्या नहीं खायें – Fistula me kya nahi khana chahiye
1. शराब का सेवन न करें
अल्कोहल का सेवन भूल कर भी नहीं करना चाहिए क्यों की इससे शरीर में जल की मात्र काम होने लगती है परिणाम स्वरूप माल कडा हो जाता है और कब्ज हो जाती है । अगर बार-बार कब्ज होती है तो फिस्चुला को ठीक होने में और ज्यादा समय लगता है।
2. अनाज
भोजन में मैदा या मैदे से बनी वस्तुओं और नया चावल का प्रयोग भी न करें क्योंकी ये पेट में जाकर आँतों से चिपक जाते हैं जिसके परिणाम स्वरूप पर्याप्त मात्रा में जल का स्राव आँतों में नहीं हो पाता और कब्ज पैदा हो जाती है।
3. दाल
ऐसी दालें जिनको लेने से गैस बनती हो उनका प्रयोग नहीं करना चाहिए जैसे मटर, उड़द इत्यादि। इन्हें अपने व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर प्रयोग कर सकते हैं अगर आपका अनुभव सकारात्मक रहा है तो।
4. फल और सब्जियाँ
पेट में गैस पैदा करने वाले फल और सब्जियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए जैसे कटहल, बैगन इत्यादि।
5. अन्य क्या न लें
चीनी, तीखी, तैलीय, मसालेदार सब्जी, कोल्ड ड्रिंक, जंक फूड, फास्ट फूड, बेकरी का कोई भी पदार्थ, पैकड भोज्य पदार्थ और बाहर के भोजन से बचें। घर का खाना सर्वोत्तम है।
अल्कोहल के अलावा सिगरेट जैसे नशीले पदार्थों से भी दूरी बनाने में ही समझदारी है। नशीले पदार्थ का सेवन करने से डीहाइड्रेशन होता है जो बाद में कब्ज का कारण बनता है। इसके अलावा चाय, कॉफी और चॉकलेट में कैफीन पाया जाता है जो डीहाइड्रेशन की समस्या को पैदा करते हैं। अतः इनसे भी बचना चाहिए।
कुछ सावधानियाँ
- भोजन करने का एक समय निर्धारित करें। देर रात में भोजन न करें। भोजन शाम 8 से पहले ही कर लें ताकि पचने का समय मिल सके।
- बाहर का खाना खाने से परहेज करें। केवल घर का सात्विक भोजन ही लें।
- तनाव को अपने ऊपर हावी न होने दें। तनाव से कब्ज पैदा होती है। तनाव को खत्म करने के लिए ध्यान का प्रयोग करें।
- अगर लिक्विड डाइइट लेनी हो तो क्षारीय पेय पदार्थों का ही सेवन करें जैसे नारियल पानी, नींबू पानी इत्यादि।
- पेट से संबंधित योगासनों का प्रयोग अवश्य करें परंतु ध्यान दें कि कोई दर्द या तकलीफ न हो।
- मोटर साईकिल का प्रयोग न करें।
- काफी देर तक बैठने वाले कामों से परहेज करें।
फिस्चुला का सबसे अच्छा उपचार
होम्योपैथी फिस्चुला के उपचार के लिए सर्वोत्तम विकल्प है क्योंकि यह व्यक्ति की प्रकृति को ठीक कर देती है जिससे बार-बार फिस्चुला होने की समस्या से निजात मिल जाती है। इसके लिए कान्स्टिटूशनल मेडिसन का प्रयोग करना अनिवार्य है। अगर आप भी अपने इलाज के लिए सोच रहे हैं तो होम्योपैथी एक अच्छा विकल्प है।